वक्त बड़ा बलवान है। वक्त के हिसाब से रहने में ही भलाई है। वो दिन और थे जब आप मुसीबत में फँसे हों तो लोग मदद को आगे आ जाया करते थे। मगर वो दिन अब ना रहे! अब लोग मदद के लिए ना आते बल्कि फोटो लेने और वीडियो बनाने के लिए आते हैं। ये ज्ञान मुझे मेरे एक पड़ोसी ने एक लौटा हल्दी वाले दूध के बदले में दिया था। मेरे इस पड़ोसी से शनि, राहू और केतू एक साथ नाराज हो गए थे! जिसके चलते उनकी पत्नी के मन में ये बात अच्छी तरह बैठ गई थी कि उनके पति का चक्कर किसी पराई स्त्री के साथ चल रहा है। इसलिए उनकी पत्नी ने कसम खाई थी कि जब तक उस पराई स्त्री का भूत अपने पति के सिर से नहीं उतारेगी तब तक कुछ और नहीं खाएगी!
इसके लिए पड़ोसी की पत्नी ने पूरी तैयारी कर ली। जैसे ही शाम को मेरा पड़ोसी अपने घर आया तो पाँच मिनट बाद ही उसकी चीखें सुनकर पूरा मोहल्ला उसके घर इकट्ठा हो गया। लोगों ने देखा कि पड़ोसी की पत्नी अपने पति के सिर से पराई स्त्री का भूत उतारने के लिए ज़बरदस्त एक्शन मोड में थी! मोहल्ले वालों को देखकर पड़ोसी को लगा कि अब वो बच जाएगा! लेकिन ये क्या? सभी ने अपने-अपने मोबाइल फोनों से उसकी पिटाई का वीडियो बनाना शुरु कर दिया। कुछ बुजुर्ग महिला-पुरुषों ने पड़ोसी की पत्नी से जानना भी चाहा कि आखिर माजरा क्या है ? वो क्यों अपने पति को इतनी बूरी तरह कूट रही है?
वीडियो बनाने वालों को उनका इस तरह पूछताछ करना बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। सभी ने एक स्वर में उन्हें चुप रहने की सख्त हिदायत दी। साथ ही पड़ोसी की पत्नी से विनती की कि आपने जो पीछे से लात मार कर अपने पति को हवा में उछाला था उसे एक बार फिर से दोहरा दीजिए! आपका वो एक्शन ठीक से रिकॉर्ड नहीं हो पाया था! एक दूसरे व्यक्ति ने लगभग चिल्लाते हुए कहा, " भाबीजी वंस मोर! बहुत बढ़िया एक्शन दिखाया है आपने! मैं तो अभी-अभी आया हूँ! केवल चंद सेकेंड का ही वीडियो रिकॉर्ड कर पाया हूँ! अब तक जो कुछ हुआ है अगर आप उसे एक बार फिर से दोहरा दें तो बड़ी मेहरबानी हो जाएगी! कुछ लोगों ने बढ़िया एक्शन दिखाने के लिए उसकी तारीफ भी की। लेकिन पड़ोसी को बचाने का तनिक सा प्रयास भी किसी ने नहीं किया!
पड़ोसी की पत्नी को सिर्फ अपने पति के सिर से पराई स्त्री के भूत को उतारने की चिंता थी इसलिए उसने अपनी तरफ से कोई कोर-कसर बाकी न रख छोड़ी! लेकिन जैसे ही वीडियो बनाने वालों के इरादों का ख्याल आया तो शेरनी की तरह दहाड़कर उन पर लपकी। पलभर में सारे लोग नौ-दो ग्यारह हो गए! मेरे पड़ोसी फिर अकेले पड़ गए और एक बार फिर से पत्नी के हत्थे चढ़ गए। बेचारे तब तक ठुकते-पिटते रहे जब तक कि बेहोश नहीं हो गए। होश आने पर सीधे मेरे पास आए। उनके हालत देखकर मैं समझ गया था कि पड़ोसी अत्यिधक पीड़ा में हैं। मैंने उन्हें एक लौटा हल्दी वाला दूध पिलाकर उनसे उनकी आप-बीती सुनी जो अभी आपने पढ़ी। "वो दिन अब ना रहे" कहकर पड़ोसी ने अपनी बात ख़त्म की! इस प्रकरण से जो सीख मिलती है मुझे पूरा विश्वास है कि आप उसे अपने हित में याद रखेंगे!
- वीरेंद्र सिंह
बहुत सुन्दर लघु कथा
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत धन्यवाद! हास्य-व्यंग्य लिखने का प्रयास किया था।
हटाएंजी हाँ वीरेन्द्र जी । पक्का याद रखेंगे । और ज़माना वाक़ई ऐसा ही आ गया है । बुरा हो स्मार्टफ़ोन का जिसने लोगों की मानसिकता को ही इस प्रकार से प्रदूषित कर दिया है ।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत आभार। सादर।
हटाएंजी , वाकई वो दिन न रहे . बाकी तो जो है सो है , विडिओ बनाने वालों कि भी कुछ कुटाई पिटाई होनी चाहिए .
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत आभार। आपने सही कहा।
हटाएंआपका बहुत-बहुत धन्यवाद, हार्दिक आभार। सादर ।
जवाब देंहटाएंमजेदार हास्यव्यंग......
जवाब देंहटाएंवंस मोर !
वाह!!!
सचमें आजकल लोग किसी भी घटना दुर्घटना में सिर्फ इसलिए शरीक हो रहे हैं ताकि वीडियो बना सके बाकी किसी से किसी को कोई सरोकार नहीं।
वीरेन्द्र जी ये काम मेरी कामवाली ने भी अपने पति के साथ किया था क्योंकि वह रोज शराब पीकर आता था और उसे परेशान करता था और अपनी बेटी से वीडियो बनवा के मुझे दिखाया ..तरह तरह के चरित्र समाज में मिलते हैं..सुंदर हास्य व्यंग रचना के लिए आपको बधाई..
जवाब देंहटाएंजी..कभी-कभी मजबूरी बस ऐसा करना पड़ जाता है। आपका बहुत-बहुत आभार।
हटाएंहास्य-व्यंग के माध्यम से नये समाज का आईना दिखा दिया आपने। ये तो फिर भी हंसी-मज़ाक था सवेदनशील जगहों पर भी ये क्रीड़ा देखने को मिल जा रहा है। लोग असहाय की सहायता करने के वजाय वीडिओ बनाने में लगे रहते है। सादर नमन आपको
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर लेख । शुभ कामनाएं ।
जवाब देंहटाएंआलोक जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
हटाएंवाह! वाक़या बहुत सुंदर लिख है 😂
जवाब देंहटाएंइतने पर नहीं समझे वे कभी नहीं समझे।
सादर नमस्कार।
आपका बहुत-बहुत आभार। सादर धन्यवाद।
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