जीवन में हर कोई आगे बढ़ना चाहता है। सफल होना चाहता है। अपने सपनों में वास्तविकता के रंग भरना चाहता है। ऊँची उड़ान भरना चाहता है। ऐसा जीवन जीना चाहता है जिसमें हर तरह की सुख-सुविधा हो। चैन हो। संतोष हो। मान-सम्मान हो। धन-दौलत हो। वगैरा-वगैरा।लेकिन जिन लोगों को ये सब मिलता है उनकी संख्या बहुत कम होती है। मतलब सभी लोग सफल नहीं हो पाते। उनके प्रयासों में कहीं न कहीं, कोई न कोई कमी रह जाती है। कुछ तो प्रयास ही नहीं करते। बहुत सारे लोग निराश भी हो जाते हैं। दोस्तों, जीवन एक बार मिलता है। इसलिए इसे पूरी तरह आनंद लेते हुए जीना चाहिए। अगर स्तरीय जीवन जीने के लिए हमें थोड़ी बहुत मेहनत करनी भी पढ़े तो कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। हमारे देश में फास्ट फूड बेेच-बेचकर भी लोग लाखों कमा रहे हैं! बचपन में चाय बेचने वाला बच्चा आज भारत का प्रधानमंत्री बना हुआ है। प्रधानमंत्री भी ऐसा की दुनिया भर में उनके चर्चे हैं। भारत में उन्हें अब तक का सबसे बढ़िया प्रधानमंत्री बताया जा रहा है। यह सब परिश्रम के दम पर ही हुआ है। परिश्रम के बलबूते लोग कहां से कहां पहुंच गए! हम रोज अखबारों में उनकी उपलब्धियां के बारे में में पढ़ते हैं। कुछ महत्वूर्ण टिप्स यहां दी जा रही है। उम्मीद है कि इन पर बढ़ते हुए आप निश्चित तौर से आगे बढ़ेगे और सफलता आपके कदम चूमेंगी।
सफलता पाने के लिए पहले हमें यह पता लगाना होगा कि हमारी असफलता के सबसे बड़े कारण कौनसे हैं। एक बार हम अपनी असफलता का कारण जान लें तो उनको कारणों को दूर करना हमारा पहला लक्ष्य होना चाहिए। असफलता के सबसे बड़े कारणों में पहले नंबर पर आता है समय की बर्बादी। आपने आपने भी आस-पास गौर किया होगा कि कैसे ज्यादातर लोग अपना समय बर्बाद करते रहते हे। आजकल लगभग सभी के पास स्मार्टफोन हैं जिस पर पढ़े-लिखे लोग भी हर समय लगे रहते हैं। स्मार्ट फोन की लत कुछ ऐसी है जिससे छुटकारा पाना आसान नहीं है। हालांकि अगर स्मार्टफोन का इस्तेमाल जरूरी काम के लिए हो रहा है तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है लेकिन केवल मनोरंजन के घंटों स्मार्टफोन पर लगे रहना अपना बहुमुल्य समय को बर्बाद करना है जिसके चलते अंतत: हमारा जीवन बर्बाद होना है। इसलिए सफलता की राह में पहला काम यह करना है कि आप प्रण करें कि मोबाइल फोन का इस्तेमाल केवल जरूरत या कुछ नया सीखने के लिए ही करेंगे। अगर आप यह नहीं कर सकते तो सफलता पाना आपके लिए लगभग असंभव होगा। इसलिए जितनी जल्दी संभव हो सके समय बर्बाद करना छोड़ दें।
अगला नंबर समय के सदुपयोग का। जब हम समय का दुरुपयोग रोक देते हैं तो हमारे पास दुनिया की सबसे अमूल्य धरोहर होती है जिसे समय कहते हैं। लेकिन समय हो और उसका सदुपयोग न हो तो बात फिर वहीं आ जाती हैं जहां से कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। इसलिए हमें संकल्प करना होगा कि हर हाल में समय का सदुपयोग करेंगे। आपके लक्ष्य को पाने में जो भी जरुरी स्किल हैं वो सीखकर और उनका अभ्यास कर समय का सदुपयोग किया जा सकता है। जिस दिन आपने अपने समय का उपयोग करना सीख लिया, सफलता आपकी ओर अपने कदम बढ़ाने शुरू कर देगी। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री पीएम मोदी के बारे में कहा जाता है कवि 18 घंटे काम करते हैं। यह बिल्कुल भी मामूली बात नहीं है। अगर आज के युवा 14 घंटे काम करने की भी ठान ली तो दुनिया की कोई ताकत उन्हें उनकी मंजिल पर पहुंचने से रोक नहीं सकती। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि उठो और तब तक मत रुको जब तक कि तुम्हें तुम्हारी मंजिल ना मिल जाए। हर युवा को अपने देश के महापुरुषों से सबक लेना चाहिए कि जीवन में आगे कैसे बढ़ना है?
सफलता के लिए एक और जरूरी टिप यह है कि आप अपने लक्ष्य को अपने ध्यान में रखें। जब हमारा फोकस हमारे लक्ष्य पर होता है तो हम अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए लगातार प्रयास करते हैं। जिसका परिणाम यह होता है कि सफलता के निकट पहुचते जाते हैं। याद रखिए जो लोग अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। उन्हें कभी सफलता नहीं मिलती। अमेरिकी स्क्रिप्ट राइटर, एक्टर, सिल्वेस्टर स्टेलोन की संघर्षमय सपनों सरीखी सफलता से प्रेरणा लेनी चाहिए। एक समय था जब स्टेलोन को न्यूयॉर्क बस स्टेशन पर खुले आसमान के नीचे सोना पड़ा था। अपना प्यारा कुत्ता बेचना पड़ा क्योंकि उसे खिलाने के पैसे उसके पास नहीं थे। महीनों तक वो ऐसी घूमता रहा। फिर मोहम्मद अली का बॉक्सिंग मैच देखकर और उससे प्रेरणा पाकर उसने साढ़े तीन दिनों में एक फिल्म की स्क्रिप्ट लिख डाली। उसके बाद स्टेलोन उस स्क्रिप्ट को लेकर बहुत से स्टूडियों में गए। स्टूडियों वाले स्क्रिप्ट खरीदने को तो तैयार थे लेकिन स्टेलोन को हीरो बनाने के लिए तैयार नहीं थे। जबकि स्टेलोन इस बात पर अड़े हुए थे कि स्क्रिप्ट के पैसे भले ही कम मिले लेकिन उस फिल्म के हीरो वो ही बनेंगे। स्टेलोन का गुजारा बड़ी मुश्किल से चल रहा था। लेकिन वो हीरो बनने के अपने लक्ष्य से भटके नहीं। उन्होंने कभी यह नहीं सोचा कि चलो स्क्रिप्ट से जो पैसे मिल रहे हैं उनसे अपना खर्च निकाला जाए और बाद में नए सिरे से हीरो बनने का प्रयास किया जाए।
आखिरकार एक दिन सिल्वेस्टर स्टेलोन का संघर्ष काम आया। स्टूडियो ने न केवल उनकी स्क्रिप्ट खरीदी बल्कि उस पर बनने वाली फिल्म में मुख्य भूमिका भी मिली। उस फिल्म का नाम था रॉकी। यह फिल्म ने सफलता के झंंडे गाड़ दिए। इस फिल्म को तीन कैटेगरी में तीन आस्कर अवॉर्ड मिले। सिल्वेस्टर स्टेलोन ने स्क्रिप्ट से मिले पैसों से सबसे पहले अपना कुत्ता खरीदा जिसे गरीबी के चलते बेच दिया था। कुत्ता वापस पाने के लिए सिल्वेस्टर स्टेलोन उस दौर में 15000 डॉलर देने पढ़े थे। उनकी मिली सफलता से आज के युवाओं को सबक लेना चाहिए कि हर हाल में अपने लक्ष्य पर फोकस रखें। अपने सपनों को जीवित रखें।
अगला नंबर आता है टालमटोल की आदत को हमेशा के लिए त्याग देना। हर काम को समय पर करना बहुत जरूरी होता है। आज नहीं कल करेंगे ,कल नहीं परसों करेंगे। यह आदत इंसान को कहीं का नहीं छोड़ती है। युवाओं को, विद्यार्थियों को यह शपथ लेनी चाहिए कि वे अपने सभी काम समय पर करेंगे। याद रखिए कि जिस दिन भी अपने टालमटोल की आदत छोड़ दी आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव शुरू हो जाएंगे। लोगों का विश्वास आप में बढ़ेगा। वे आपको गंभीरता से लेना शुरू करेंगे। आपकी उत्पादक क्षमता बढ़ जाएगी।
अंतिम बिंदु पर बात करेंगे। हम बात करेंगे स्वास्थ्य की। पुरानी कहावत है हेल्थ इज वेल्थ। अपने शरीर को स्वस्थ रखना हमारा कर्तव्य है। स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि हम नियमित तौर पर व्यायाम करें स्वस्थ खान-पान अपनाएँ। याद रखिए स्वास्थ है तो सब कुछ है स्वास्थ्य नहीं है तो कुछ भी नहीं है।
सफलता पाने के लिए के लिए व्यक्ति को हर बाधा से जूझना आना चाहिए। अगर कुछ नया सीखना है तो सीखें। किसी जानकार से किसी तरह की हेल्प की आवश्यकता है तो लें। अपने दिल और दिमाग को खुला रखें। प्रारंभिक असफलताओं से न घबराएं। लोगों के तानो की परवाह न करें क्योंकि सफलता मिलते ही लोगों की राय भी बदल जाती है। हर हाल में अपने लक्ष्य पर टिक रहे। अपने सपनों को मरने ना दे। और ज्यादा सपने देखे। अपने सपनों को हर हाल में साकार करने का दृढ़ निश्चय करें। अनावश्यक विवादों से दूर रहें और यह विश्वास रखें कि भगवान जो भी करेंगे अच्छा करेंगे। आपके साथ भी अच्छा ही होगा और एक दिन आपके परिश्रम का फल आपको जरूर मिलेगा। धन्यवाद।
--वीरेंद्र सिंह
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