सफ़ल और सुखद जीवन की कल्पना हर कोई व्यक्ति करता है. लेकिन अधिकाँश लोगों के मामलों में ये कल्पना, कल्पना ही रह जाती है क्योंकि जीवन जीना भी एक कला है और जो इस कला में पारंगत होता, उसी का जीवन सफ़ल होता है. अगर हम दूसरों के अनुभवों से कुछ लाभ उठा सके तो कईं प्रकार की दिक्कत्तों से आसानी से बच सकते हैं. इस विषय में हमारे बड़े बुजुर्ग हमेशा हम ख़बरदार करते रहते हैं. हमारा मार्ग दर्शन करते हैं. लेकिन हम हैं कि उनकी बातों पर कभी कोई ध्यान ही नहीं देते हैं. इस ग़लती हम सभी को बचना चाहिए.
ऐसे ही कुछ काम की नसीहते मैं आपके लिए लाया हूँ-
१- याद रखें कि जो नसीहत नहीं सुनता उसको एकदिन लानत सुननी
पड़ती है.
पड़ती है.
२- मुस्कराते रहें इससे आपके चेहरे की सुन्दरता बढ़ती है.
३- दूसरों को बिना मागें राय न दें.
४- अज्ञान के अधेंरे को ज्ञान के प्रकाश से दूर करें.
५- समय बिल्कुल भी बर्बाद न करें.
६- ख़ाली दिमाग़ शैतान का घर होता है इसीलिए कुछ ख़ाली न बैठे
कुछ न कुछ करते रहें.
७- दूसरों की कमियों से पहले अपनी कमियों पर ध्यान दें.
८-जितना हो सके चिंता से बचिए.
९- स्वयं अपनी प्रशंसा न करें.
१०- कुछ न कुछ नया करते रहें.
११- दूसरों से बदलने की उम्मीद करने की बजाय अपने आप को बदले.
१२- अनावश्यक गुस्सा बिल्कुल भी न करें.
१३-भविष्य कोई नहीं बता सकता इसीलिए भविष्य जानने की
कोशिश कभी न करें.
१४- टाल-मटोल की आदत तुरंत छोड़ दें.
१५- अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय स्वयं लें.
१६- किसी के प्रति बैर-भाव बिल्कुल न रखें.
१७- हर पल का आनंद उठाएँ.
१८- दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहें.
१९- शांत रहें और जग की भलाई के बारे में हमेशा सोचें.
२०- जांत-पांत और ऊँच-नीच के झंझटों में बिल्कुल न पड़े.
21- अंत में एक और बात सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है इसीलिए
अपने आप में सुधार करते रहें.
हालाँकि और भी बहुत सी बातें हैं जिन पर हम अमल करें तो निश्चित ही एक सफ़ल और सुखद जीवन
जी सकतें हैं.
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