आओ सखी एक गीत सुनो
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सांकेतिक चित्र |
आओ सखी एक गीत सुनो
जीवन की एक रीत सुनो
पहली बार जो मुझे हो गई
कैसी है वो प्रीत सुनो
आओ सखी एक गीत सुनो
जीवन की एक रीत सुनो
मेरे प्रेम की यह कहानी
सुन लो सब मेरी जुबानी
उनसे नज़रें जब चार हुईं
पल भर में दिल हार गई
इस हार में मेरी जीत सुनो
आओ सखी एक गीत सुनो..
नींद नहीं आती रातों में
रातें कटती हैं बातों में
दिन में भी कोई चैन नहीं
उस राह से हटते नैन नहीं
जिधर से आवे मनमीत सुनो
आओ सखी एक गीत सुनो..
जबसे हुई हूं मैं दीवानी
हर जुबां पर मेरी कहानी
सबने ठाना डोली सजेगी
जल्दी ही शहनाई बजेगी
मुधर बजेगा संगीत सुनो
आओ सखी एक गीत सुनो..
घर बाबुल का जब छूटेगा
साथ तुम्हारा भी टूटेगा
मुझे कभी न तुम भुलाना
मेरी यादों से दिल बहलाना
जग की यही है रीत सुनो
आओ सखी एक गीत सुनो
जीवन की एक रीत सुनो
पहली बार जो मुझे हुई है
ऐसी है वो प्रीत सुनो
-वीरेंद्र सिंह
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बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंपांडे जी आपका धन्यवाद।
हटाएंबहुत सुंदर ! मनभावन ! सुकोमल भावों से भरा गीत । अभिनंदन वीरेन्द्र जी ।
जवाब देंहटाएंआभार जितेंद्र जी। रचना पाठक को पसंद आए तो मेहनत सफ़ल हुई समझो।
हटाएंबहुत ही मन मोहने वाला गीत..आनंद आ गया पढ़कर, इस समसामयिक गीत के लिए आपको बधाई..वीरेन्द्र जी, मेरे गीत के ब्लॉग लिंक पर आपका स्वागत है..
जवाब देंहटाएंआपको यह रचना पसंदआई। जानकर बहुत अच्छा लगा।
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