२२ अप्रैल को "विश्व पृथ्वी
दिवस". के रूप में मनाते हैं. इस दिवस को मनाने का मक़सद लोगों को पृथ्वी पर
मंडराते हुए
ख़तरे के प्रति चेताना और उस ख़तरे को कम करने के बारे में जागरूक करना है। आज से
चार दशक पहले एक अमेरिकी सीनेटर ने पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने
के लिए लाखों लोगों के साथ २२ अप्रैल , १९७० को एक विशाल प्रदर्शन किया था। इसी कारण इस दिन को पृथ्वी दिवस के रूप में मान्यता मिल गई। वैसे २१ मार्च को भी
संयुक्त राष्ट्र संघ के समर्थन से अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस मनाया जाता है।जबकि
अधिकाँश देशों में २२ अप्रैल को ये दिवस मनाया जाता है।
पृथ्वी पर
मंडराते इस संकट का कारण केवल और केवल मनुष्य है। बड़ती हुई जनसँख्या पारिस्थितिकी
संकट पैदा कर रही है। प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से पर्यावरण को घातक
नुकसान पहुँचा है। ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से लेकर सुनामी जैसे भयानक तूफ़ान
के लिए मनुष्य ही ज़िम्मेदार है। आर्कटिक ध्रुब पर 27 ग्लेशियर
ही बचे हैं, जबकि 1990 में 150 थे। एक अनुमान के अनुसार बहुत जल्द विश्व की आधी
जनसँख्या को पीने का शुद्ध पानी भी नहीं मिलेगा। धरती पर उपलब्ध कुल पानी का ९७%
खारा है. ३% से भी कम पानी ताज़ा है जिस में से २.२४% बर्फ़ के रूप में ०.६% धरती के
अंदर और बाकी बचा झीलों और नदियों वगैरह में है। इतने पर भी हम न तो पानी की
बर्बादी पर ही ध्यान देते हैं और न ही जल संरक्षण के लिए कुछ ठोस उपाय करते हैं। आज दुनिया के करीब एक अरब लोगों को पेयजल नहीं मिलता। 2050 में करीब तीन अरब लोगों को पेयजल नहीं मिलेगा।
देश में जल संकट बढ़ेगा। 2050 तक भारत के करीब 60 फीसदी भूजल स्रोत सूख चुके होंगे।
पृथ्वी और उसके
पर्यावरण को बचाने के लिए विश्वभर में सभी लोग ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाएँ, पॉलीथीन का प्रयोग तुरंत बंद करें। प्राकृतिक
संसाधनों और उनसे बने उत्पादों का सोच समझकर उपयोग करें। हम सभी सादगी और संयम से
रहते हुए संतुलित खानपान अपनाएँ।पानी की हर बूँद कीमती है ऐसा सोचकर ही पानी का
उपयोग करें और पानी को बचाने का हर संभव उपाय करें। इसके साथ-२ सभी देशों की
सरकारें भी लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने व बचपन से ही प्रकृति प्रेम को
बढ़ावा देने के लिए ठोस उपाय करें तो निश्चित ही संसार का सबसे सुन्दर और अनमोल
उपहार, हमारी प्यारी धरती माँ , आने वाले करोड़ों वर्षों तक हमें पालती रहेगी।
चलिए हम भी अभी से ये प्रण लें कि ऐसा कोई भी काम नहीं करेंगे जिससे धरती के पर्यावरण को कोई भी हानि हो साथ ही लोगों को स्वच्छ पर्यावरण के लाभ बताने के साथ-२ उनको पर्यावरण को सुरक्षित रखने के तौर-तरीक़े न केवल बताएँगे बल्कि पर्यावरण हितेषी बन अपना उदहारण भी उनके सामने रखेंगे। याद रखना होगा कि गर धरा को है बचाना तो अब नहीं चलेगा कोई बहाना।
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 22/04/2019 की बुलेटिन, " टूथ ब्रश की रिटायरमेंट - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंशिवम जी धन्यवाद। जानकर अत्यधिक प्रसन्नता हुई।
जवाब देंहटाएं"विश्व पृथ्वी दिवस" मनाया जाना बेहद जरूरी है पृथ्वी और मानव जाति के संरक्षण के लिए । पर्यावरण संतुलन बना रहेगा तभी हम और हमारी हरी भरी वसुंधरा सुरक्षित रह सकेगी । बेहतरीन लेख ।
जवाब देंहटाएंमीना जी धन्यवाद। सादर।
हटाएंबहुत ही अच्छी सोच!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, ब्लॉग पर स्वागत है आपका। आगे भी आते रहिएगा।
हटाएंकाश की इस संकट तो इंसान समझ पता ... पर जिस हिसाब से दुनिया का हाल है मुश्किल लगता है ऐसा होना ... धीरे धीरे विनाश को और हमारे कदम बढ़ते जा रहे हैं ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर।
हटाएंविश्व पृथ्वी दिवस... धरा को है बचाना तो अब नहीं चलेगा कोई बहाना बेहतरीन लेख
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संजय जी।
हटाएंबहुत अच्छी पोस्ट
जवाब देंहटाएंचलिए हम भी अभी से ये प्रण लें कि ऐसा कोई भी काम नहीं करेंगे जिससे धरती के पर्यावरण को कोई भी हानि हो।
जवाब देंहटाएंयूपी हिंदी समाचार की तरफ से आपको बहुत बहुत शुभकामनाये। आगे ऐसे ही लिखते रहिये।