फागुन में बौराने या फगियाने का भी अपना एक अलग ही आनंद है! फागुन यानी वसंत ऋतु का महीना। फागुन में इंसान बिना विटामिन की गोली निगले भी युवा और तरोताज़ा महसूस करने लगते हैं। नित्य शाम-सवेरे शक्तिवर्द्धक चूर्ण का सेवन किए बिना ही घोड़े जैसी फुर्ती से दौड़ने लगते हैं, उछल-उछल कर चलते हैं! बिना क्रीम पाउडर लपेटे ही चेहरा धूप में रखे स्टील के बर्तनों की तरह चमचमाता है! यह फागुन का असर है कि अल्पकाल के लिए गंजों को भी बालों की कमी नहीं खलती! लड़कियां अपनी सहेलियों की सुंदरता से नहीं जलती! कौवे जैसे बेसुरे प्राणी भी कोयल जैसा मीठा बोलने लगते हैं! बूढ़ों पर फागुन का अच्छा-सच्चा-कच्चा-पक्का असर होता है! बूढ़ों पर जवानी छाने की सबसे अधिक दुर्घटनाएं फागुन में ही होती हैं! नौजवान भी मौक़ा मिलते ही चौका मारने की ताक में रहते हैं! जहां तक कवियों की बात है तो इस प्रजाति के जीव शृंगार रस की कविताओं का सृजन कर अपने-अपने मनोभाव प्रकट करते हैं!
फागुन का प्रभाव ऑफिसों में न हो ये हो नहीं सकता! वहां का वातावरण भी हल्का-फुल्का हो जाता है। बॉस और उसके मातहतों के बीच संवाद में प्रेम रस उत्पन्न होने लगता है। कड़वाहट, सर्दी की तरह कम होने लगती है। प्रमोशन के अवसर ऐसे ही बढ़ने लगते हैं जैसे धीरे-धीरे दिन बढ़ रहा होता है।
फागुन में उमंग और उत्साह का राज होता है। यह माह प्रेमियों के लिए भी बहुत अनुकूल होता है। प्रेम स्वीकृति की संभावना भी अधिक होती है! नये-नये पत्तों से सजे पेड़-पौधे नयनों को भाते हैं। रंग-रंग के फूल हृदय लुभाते हैं! प्रेम करने या प्रदर्शित करने के लिए इससे बढ़िया मौसम और कोई नहीं हो सकता! फागुन में प्रकृति का हर रूप शृंगार रस के लिए उद्दीपन का कार्य करता है।
फागुन में होली आती है। होली में चमत्कार होता है! दुश्मन भी दोस्त बनकर गले लग जाता है! उम्र भले ही पचपन की हो दिल बचपन का हो जाता है। बूढ़ों के मन में तरंग उठती है! उमंग पैदा होती है। होली में अबीर होता है, रंग होता है! गीत-संगीत होता है। जमकर धमाल और हुड़दंग होता है। रंग-बिरंगे चेहरे देखकर हर कोई दंग होता है! स्वादिष्ट पकवान होते हैं। पकवानों की नानी गुझिया होती है और खाने की भी मनाही नहीं होती।
होली के साथ ही फागुन की विदाई हो जाती है और बस याद रह जाती है। जल्द ही गर्मी दस्तक देने लगती है! अब वंसत को भी बोरिया विस्तर बांधना पड़ता है! जीवन के एक और वसंत के खर्च हो जाने का पता तक नहीं चलता! प्रकृति का यही नियम है! मौसम के बाद मौसम आता है, जाता है और देखते ही देखते चला जाता है।
-वीरेंद्र सिंह
फागुन का प्रभाव ऑफिसों में न हो ये हो नहीं सकता! वहां का वातावरण भी हल्का-फुल्का हो जाता है। बॉस और उसके मातहतों के बीच संवाद में प्रेम रस उत्पन्न होने लगता है। कड़वाहट, सर्दी की तरह कम होने लगती है। प्रमोशन के अवसर ऐसे ही बढ़ने लगते हैं जैसे धीरे-धीरे दिन बढ़ रहा होता है।
फागुन में उमंग और उत्साह का राज होता है। यह माह प्रेमियों के लिए भी बहुत अनुकूल होता है। प्रेम स्वीकृति की संभावना भी अधिक होती है! नये-नये पत्तों से सजे पेड़-पौधे नयनों को भाते हैं। रंग-रंग के फूल हृदय लुभाते हैं! प्रेम करने या प्रदर्शित करने के लिए इससे बढ़िया मौसम और कोई नहीं हो सकता! फागुन में प्रकृति का हर रूप शृंगार रस के लिए उद्दीपन का कार्य करता है।
फागुन में होली आती है। होली में चमत्कार होता है! दुश्मन भी दोस्त बनकर गले लग जाता है! उम्र भले ही पचपन की हो दिल बचपन का हो जाता है। बूढ़ों के मन में तरंग उठती है! उमंग पैदा होती है। होली में अबीर होता है, रंग होता है! गीत-संगीत होता है। जमकर धमाल और हुड़दंग होता है। रंग-बिरंगे चेहरे देखकर हर कोई दंग होता है! स्वादिष्ट पकवान होते हैं। पकवानों की नानी गुझिया होती है और खाने की भी मनाही नहीं होती।
होली के साथ ही फागुन की विदाई हो जाती है और बस याद रह जाती है। जल्द ही गर्मी दस्तक देने लगती है! अब वंसत को भी बोरिया विस्तर बांधना पड़ता है! जीवन के एक और वसंत के खर्च हो जाने का पता तक नहीं चलता! प्रकृति का यही नियम है! मौसम के बाद मौसम आता है, जाता है और देखते ही देखते चला जाता है।
-वीरेंद्र सिंह
बहुत खूब कहा आपने ,बहुत ही सुंदर वर्णन बसन्त और फागुन पर्व पर ,बधाई हो ।
जवाब देंहटाएंज्योति जी, आपका धन्यवाद। सादर।
हटाएंजीवन के एक और वसंत के खर्च हो जाने का पता तक नहीं चलता,,,,
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ,,,होली की हार्दिक बधाई
कामिनी जी आपका धन्यवाद। सादर।
हटाएंऐसे ही बसंत अच्छे खर्च हों तो मज़ा ही कुछ और होता है ... लगता है बीता वर्ष सार्थक रहा ...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना आज ," पाँच लिंकों का आनंद में " बुधवार 20 मार्च 2019 को साझा की गई है..
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in/
पर आप भी आइएगा..धन्यवाद।
पम्मी जी, धन्यवाद। इससे निश्चित रूप से और बेहतर लिखने की प्रेरणा मिलती है।
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