क्यों तोड़े तूने वादे!
मुझे इतना बता दे!
क्या मेरा दिल, दिल ना था!
तेरे प्यार के ये क़ाबिल न था!
ना करता तुझे प्यार कभी,
जो मैं जानता तेरे इरादे!
क्यों तोड़े तूने वादे!
मुझे इतना बता दे!
दिल में तुझे बसाया था ,
तेरे प्यार में जहां भुलाया था!
क्या कमी रही थी मेरे प्यार में,
दीवाने को समझा दे!
क्यों तोड़े तूने वादे!
मुझे इतना बता दे!
क्यों तूने ये ज़ख़्म दिए!
बिन तेरे हम कैसे जियें!
कैसे भूलाऊँ उन लम्हों को,
जरा इसका राज बता दे!
क्यों तोड़े तूने वादे!
मुझे इतना बता दे!
-वीरेंद्र सिंह
कुछ शीतल सी ताजगी का अहसास करा गई आपकी रचना।
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